दोहा गजल
1-सस्ता होता आदमी,महँगा है बाजार।
अब ऐसे हालात में,कैसे हो त्योहार।
2-मरी पड़ी संवेदना,नहीं रहा जज्बात,
बात बात पर हो गयी,बहुत बड़ी तकरार।
3-मानव मन दूषित हुआ,चलता गिरगिट चाल,
भरा छलावा आजकल,ये कैसा संसार।
4-हिंसा दहशत फूट है,रहती धुँधली शाम,
भटक रही इंसानियत,नहीं नेक किरदार।
5-जीवन ये अनमोल है,तोल न कौड़ी भाव,
नहीं करो अभिमान तुम,अपने मद को मार।
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