मेरी भावनाएं.../कंचनलता चतुर्वेदी
Monday, 9 December 2019
कुण्डलिया
कुण्डलिया
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लाली विखरे भोर की,चिड़िया करती शोर।
मंद मंद शीतल हवा,बहती चारो ओर।।
बहती चारो ओर सुबह में रहती हलचल।
नदियां प्रेम प्रवाह सदा बहती है कलकल।
हो सबका कल्याण अगर होगी हरियाली।
मनवा भाव विभोर देख सूरज की लाली।
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