पिता सम नहीं कोई दूजा।
मात-पिता की कर लो पूजा।।
यदि उनकी आशीषें पायें।
हम जीवन भर ही मुस्कायें।।
श्रम करना हमको बतलाया।
दुर्गम पथ चलना सिखलाया।।
पिता बिना हम समझ न पाते।
जीवन पथ पर फिर घबड़ाते।।
पिता एक उम्मीद रहे हैं।
आस और विश्वास रहे हैं।।
मात–पिता की सेवा कर लो।
फिर जीवन में खुशियां भर लो।।
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